वक़्त वो भी था घिरा रहता था मैं भी भीड़ से।
आपकी इक आरज़ू ने मुझको तन्हा कर दिया।।
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आपकी क़ातिल अदाओं ने हमारी जान ली।
क़त्ल का फ़िर आपने ही हम पे दावा कर दिया।।
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आप गर नज़रें मिलाते हाल सब पढ़ लेते हम।
आपने पलकें झुका कर राज़ गहरा कर दिया।।
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इश्क़ के बाज़ार में कीमत न थी राज मेरी।
आपने बोली लगा कर दाम दुगना कर दिया।।
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Raj
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