⚘जज़्बातो की फिसलती रुहानी रौ में बह गया हूँ मैं
जो नहीं कहना चाहिए था वो भी कह गया हूँ मै⚘
⚘हर लम्हा-ए-सर-ख़ुशी में अक्सर खूब मुस्कूराया हूं
भीगती पलकों से महज दो अश्क बहा के रह गया हूँ मैं⚘
⚘शायद तू इसे जुनूँ समझे या मेरी दीवानगी समझ लें
लेकिन इस बार दिल से बात पते की कह गया हूँ मैं⚘
⚘अब क्या ग़म-ए-साहिल और क्या फकत है दर्दे दिल
इक मुहब्बत की रवां इक मौज के संग बह गया हूँ मैं⚘
⚘ राज⚘
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