ठोकरें नही खायेंगे तो कैसे जानेंगे,
की आप पत्थर के बने है कि शीशे के..
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🌹इक बार ही जी भर के सज़ा क्यूँ नहीं देते 🌹
🌹गर हर्फ़-ए-ग़लत हूँ तो मिटा क्यूँ नहीं देते 🌹
🌹ऐसे ही अगर मूनिस-ओ-ग़म-ख़्वार हो मेरे 🌹
🌹यारो मुझे मरने की दुआ क्यूँ नहीं देते 🌹🌹
🌹अब शिद्दत-ए-ग़म से मेरा दम घुटने लगा है 🌹
🌹तुम रेशमी ज़ुल्फ़ों की हवा क्यूँ नहीं देते 🌹
🌹फ़र्दा के धुँदलकों में मुझे ढूँढने वालो 🌹
🌹माज़ी के दरीचों से सदा क्यूँ नहीं देते 🌹
🌹मोती हूँ तो फिर सोज़न-ए-मिज़्गाँ से पिरो लो🌹
🌹आँसू हो तो दामन पे गिरा क्यूँ नहीं देते 🌹
🌹साया हूँ तो फिर साथ न रखने का सबब क्या 🌹
🌹पत्थर हूँ तो रास्ते से हटा क्यूँ नहीं देते🌹
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