good morning, सुप्रभात

बता किस कोने में, सुखाऊँ तेरी यादें,
बरसात बाहर भी है, और भीतर भी है
                                     Dev
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मेरे कौन हो तुम ?

एहसास हो तुम उस प्रेम का,
जो उपजता है पहली बार,
नाजुक से ह्रदय में.......

स्पर्श हो तुम उस स्नेह का,
जो महसूस होती है,
किसी अपने के कंधे पर,
सिर रखने में.......

प्रतीक्षा हो तुम उस मिलन रात की,
जो.......सजाता है 
अपने स्वप्नों में,अपने ह्रदय में.......

एकान्तता हो तुम,
उस सागर किनारे जैसी,
जहाँ बैठ मैं सोचता हूँ,
तुमको ,सिर्फ तुमको.......

प्रेम हो तुम,
वह प्रेम जो उपजा था 
कान्हा के ह्रदय से,राधा के ह्रदय तक पहुँचने को,
सबसे अनभिज्ञ , सबसे सत्य.......

मैं पूछता हूँ खुद से,
आखिर कौन हो तुम?

वह कल्पना,
जो मेरे ह्रदय ने की थी प्रेम की
उस कल्पना का यथार्थ हो तुम,
मेरे प्रेम हो तुम....!!!
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