raj ki shayari,

कभी आओ तुम मेरे घर ऐसा इत्तिफ़ाक़ हो  ,
गर्मी का मौसम हो और पूरे शहर में बरसात हो

क्या हुआ जो चिरागे ज़िन्दगी बुझ गयी
तेरी चाहत की तपिश चिता  मे अब भी बाकि है
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कुछ

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