मुनीश की कलम से......
🤎तेरे ख़त की इबारत की मैं स्याही बन गया
होता 🤎🤎🤎🤎🤎🤎🤎🤎🤎
तो चाहत की डगर का मैं भी राही बन गया होता !🤎
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🌷कभी आओ🌷 तुम मेरे घर ऐसा इत्तिफ़ाक़ हो 🌷🌷 ,
🌷गर्मी का मौसम हो 🌷🌷और पूरे शहर में बरसात हो♥️🌷 Shayaripub.com
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