अचलाएसगुलेरिया की लेखनी से....
तेरा मोबाइल हो जाएं हम अक्सर सोचा करते हैंमुझसे ज्यादा तू उसको चाहे यही सोच कर जलते हैं
मेरी जगह वह ले बैठा, तुम उसे देखते रहते हो
हंसना रोना साथ है उसके ,साथ उसी के चलते हो
मुझे यह रिश्ते मोबाइल वाले तेरे बहुत ही खलते हैं
हंसना रोना साथ है उसके ,साथ उसी के चलते हो
मुझे यह रिश्ते मोबाइल वाले तेरे बहुत ही खलते हैं
जेब कभी हाथ कभी तेरे गालों से सटा रहे
पैटर्न रोज बदल कर इसके हमसे क्या क्या छुपा रहे
इसकी एक आवाज से तेरे सौ-सौ ख्वाब मचलते हैं
पैटर्न रोज बदल कर इसके हमसे क्या क्या छुपा रहे
इसकी एक आवाज से तेरे सौ-सौ ख्वाब मचलते हैं
बीवी की तरह ,मीठी आवाज से रोज जगाए है
सोचे तू इसे नचाए है पर यह तूझे नचाए है
सिग्नल के आने जाने से सौ सौ मूड बदलते हैं
सोचे तू इसे नचाए है पर यह तूझे नचाए है
सिग्नल के आने जाने से सौ सौ मूड बदलते हैं
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