देढे मेढ़े ऊँचें नीचे रास्तों पर ....
किसी के साथ चलना चाहूँ तो तुम्हें ढूँढती हूँ,🌹
समेट कर रखती हूँ हसीन पल
कुछ जिंदगी के....
किसी के साथ बिताना चाहूँ
तो तुम्हें ढूँढती हूँ,🌹🌹
उड़ा ले जाती है नींदे जब उलझनें जीवन की
किसी के कांधे पर सर रख सोना चाहूँ
तो तुम्हें ढूंढती हूँ...🌹
छा जाते हैं बादल उदासियों के
जब पलकों पर ...
नमी में भी आँखों की
हँसना चाहूँ . ..
तो तुम्हें ढूंढती हूँ🌹🌹
कंपकंपाते होठों पर कभी,कलियाँ मुस्कान की,
सजाना चाहूँ तो तुम्हे ढूँढती हूँ....🌹
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