“एक अरसे बाद हुई खुल के गुफ़्तगू उससे,
एक अरसे बाद वो चुभा हुआ काँटा निकला हो जैसे।”
दिलों को दिलो से मिलाते चलो!
,,,,,,,,,,,,,,,मुहब्बत के नगमें सुनाते चलो!!
अगर हो मुहब्बत किसी से कभी,
,,,,,,,,,,,,,,,,,,उसी से सदा तुम निभाते चलो !
दिलों में रहेगी मुहब्बत जवा,
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,वफा के सदा गीत गाते चलो!
न हो नफरतों का अधेरा कभी,
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,चरागे मुहब्बत जलाते चलो!
मिलेगी सफलता कभी ना कभी ,
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,हमेशा कदम को बढ़ाते चलो!
कभी भी दिलो में ना नफरत पले,
,,,,,,,,,,,,,,वतन के लिए जा लुटाते चलो!
हयात-ए सफर है घड़ी दो घड़ी,वफा रश्मे उल्फत निभाते चलो।
,,,Apka ये भरोसा सलामत रहे, यही बात सबको बताते चलो!
मैं प्रेम बन जाऊँ और तुम रूह की तलब
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,बस यूँ ही जी लेगे हम मोहब्बत बनकर ।
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