परिंदा हो जाते।
दुनिया पर जो जाहिर है, वह किस्सा ए मोहब्बत है।
होठों पर ना आता, तो आंखों में छुपा जाते।
कसमसाहट सी है दिल में ,बेचैनी सी आंखों में।
रूबरू होकर इसे ,गर सुन लेते तो कह पाते।
देख कर भी अनदेखा ,तुम जिस अदा से करते हो।
हम भी सितम वहीं करें ,तो जाहिर है न सह पाते।
ना उम्मीदी से कभी न वास्ता हुआ मेरा।
दिल में घर न कर पाए ,तो आंखों में ही रह जाते।
यू तन्हा कर के जाना तेरा ,बेशक ना गवार है।
आवाज दी होती हमें ,बुला लेते तो आ जाते।
कितने जख्मों को दफन किया है, दिल की गहराई में
गर करना ही था मरहम ,तो दिल में ही उतर जाते।
कमतर नहीं है किसी भी सूरत अरमानों की परवाज
आसमा की गरज में,हम भी परिंदा हो जाते।
अंधेरे रोशन करने हैं तो ,जलना ही है चिरागों को
सूरज की रोशनी में यह खुद ब खुद ही बुझ जाते।
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