shayaripub.in

आँख तुम्हारी मस्त भी है और मस्ती का पैमाना भी
एक छलकते साग़र में मय भी है और मय-ख़ाना भी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

 thank God my blog is start working again