मिलन , प्रेम, स्नेह का अर्क तकली पर डाला है 

तब कहीं नर्म , गर्म ऊन का  धागा निकाला  है ||

मिलन  और विरह की दो सिलाइयाँ  खरीद  लाई  हूँ 

आज तेरे लिए स्वेटर बुनना सीख आई हूँ ||

                    achlasguleria

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