हरे कृष्णा #hare krishna



                 

   🌹 *दो सौ बावन वैष्णवों की वार्ता* 🌹

⛰️  *श्रीगोवर्धननाथायनमः*⛰️

      *[ वैष्णव - 3️⃣ प्रसङ्ग - 6️⃣ ]*

❗  *"श्रीगुसांईजी के सेवक चतुर्भुज दास , ( कुम्भनदास के बेटा ) की वार्ता "* ❗
 

🦜    एक दिन श्रीगुसांईजी ने चतुर्भुजदास से आज्ञा की "अप्सरा कुण्ड पर - जाकर रामदास भीतरिया को लिवाकर लाओ और तुम फूल ले आना।” चतुर्भुजदासजी ने पहले तो रामदास भीतरिया को समाचार दिया और फिर आप स्वयं फूल बीनने लगे।

🦚     जब वहाँ से चलने लगे तो उन्हें श्रीगोवर्धन पर्वत की कन्दरा से, श्रीनाथजी को स्वामिनीजी के साथ बाहर आते हुए देखा। श्रीस्वामिनी के मन में आया कि हमारी इस लीला के कोई दर्शन नहीं करे तो अधिक अच्छा हो। उसी समय चतुर्भुजदास ने दर्शन करके निम्न पद गाया

“गोवर्धन गिरि सघन कन्दरा रैन निवास कियो पियय्यारी” फिर दूसरा पद गया

"रजनी राज कियो निकुंज नगर की रानी ।। ”

🦚    यह पद सुनकर श्रीस्वामिनीजी बहुत प्रसन्न हुई। फिर चतुर्भुजदासजी फूल लेकर श्रीगुसांईजी के पास गए। ये चतुर्भुजदास श्रीनाथजी तथा श्रीस्वामिनीजी के मन के भाव को जानने वाले, ऐसे कृपा पात्र भगवदीय थे।

      .......
                 ✍🏻 *मालिनी*


*गंगा में विसर्जित अस्थियां आखिर जाती कहां हैं.?बहुत ही ज्ञानवर्धक लेख*

पतितपावनी गंगा को देव नदी कहा जाता है क्योंकि शास्त्रों के अनुसार गंगा स्वर्ग से धरती पर आई है। मान्यता है कि गंगा श्री हरि विष्णु के चरणों से निकली है और भगवान शिव की जटाओं में आकर बसी है।
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श्री हरि और भगवान शिव से घनिष्ठ संबंध होने पर गंगा को पतित पाविनी कहा जाता है। मान्यता है कि गंगा में स्नान करने से मनुष्य के सभी पापों का नाश हो जाता है।
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एक दिन देवी गंगा श्री हरि से मिलने बैकुण्ठ धाम गई और उन्हें जाकर बोली," प्रभु ! मेरे जल में स्नान करने से सभी के पाप नष्ट हो जाते हैं लेकिन मैं इतने पापों का बोझ कैसे उठाऊंगी? मेरे में जो पाप समाएंगे उन्हें कैसे समाप्त करूंगी?"
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इस पर श्री हरि बोले,"गंगा! जब साधु, संत, वैष्णव आ कर आप में स्नान करेंगे तो आप के सभी पाप घुल जाएंगे।"
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गंगा नदी इतनी पवित्र है की प्रत्येक हिंदू की अंतिम
इच्छा होती है उसकी अस्थियों का विसर्जन गंगा में ही
किया जाए लेकिन यह अस्थियां जाती कहां हैं?
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इसका उत्तर तो वैज्ञानिक भी नहीं दे पाए क्योंकि असंख्य मात्रा में अस्थियों का विसर्जन करने के बाद भी गंगा जल पवित्र एवं पावन है। गंगा सागर तक खोज करने के बाद भी इस प्रश्न का पार नहीं पाया जा सका।
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सनातन धर्म की मान्यता के अनुसार मृत्यु के बाद आत्मा की शांति के लिए मृत व्यक्ति की अस्थि को गंगा में विसर्जन करना उत्तम माना गया है। यह अस्थियांं सीधे श्री हरि के चरणों में बैकुण्ठ जाती हैं।
जिस व्यक्ति का अंत समय गंगा के समीप आता है उसे
मरणोपरांत मुक्ति मिलती है। इन बातों से गंगा के प्रति हिन्दूओं की आस्था तो स्वभाविक है।
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वैज्ञानिक दृष्टि से गंगा जल में पारा अर्थात (मर्करी)
विद्यमान होता है जिससे हड्डियों में कैल्सियम और
फोस्फोरस पानी में घुल जाता है। जो जलजन्तुओं के लिए एक पौष्टिक आहार है। वाइग्निक दृष्टि से हड्डियों में गंधक (सल्फर) विद्यमान होता है जो पारे के साथ मिलकर पारद का निर्माण होता है। इसके साथ-साथ यह दोनों मिलकर मरकरी सल्फाइड साल्ट का निर्माण करते हैं। हड्डियों में बचा शेष कैल्शियम, पानी को स्वच्छ रखने का काम करता है। धार्मिक दृष्टि से पारद शिव का प्रतीक है और गंधक शक्ति का प्रतीक है। सभी जीव अंततःशिव और शक्ति में ही विलीन हो जाते हैं।.....गंगा माता की जय  ॥॥॥
                      ॐ नमो नारायण 
 
     


*🥀हे प्रभु !⚘*

*सबकी खुशी में हो, मेरी खुशी*
*ऐसा मेरा नजरिया कर दो ।*

*सबके चेहरे पर*
*एक छोटी सी खुशी ला सकूँ,*
*तुम मुझे ऐसा जरिया कर दो ।* 

🌹*सुप्रभात*🌹
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हिन्दी शायरी दिल से 

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