Emotional shayari

*उम्र, बिना रुके ही सफर कर रही हैं,*
*और हम ख्वाहिशें ले कर वही खड़े हैं।*

*जिंदगी की असली उड़ान अभी बाकी हैl*
*जिंदगी के कई इम्तिहान अभी बाकी हैं  l*

न शिक़ायत किसी से ना किसी से अनबन है,

बस अब ज़िंदगी में थोड़ा अकेले चलने का मन है

एक उमर बीत चली है तुझे चाहते हुए
तू आज भी बेखबर है कल की तरह
            shayaripub.com 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

चल छोड़,shayaripub.in

      अचलाएसगुलेरिया की कलम से                   चल छोड़ चल छोड़ छोड़ कहते कहते वह हमें छोड़ कर चले गए । दिल जिनके बक्से में रखा था वह त...