emotional shayari

मैं चाहूँ भी तो वो अल्फ़ाज़ ना लिख पाँऊ 
जिस में बयां हो जायें कि कितनी मोहब्बत हैं तुम से

मैं चाहकर भी ना कह पाऊँ 
अल्फ़ाज़ों में बैचैनी तुम्हारी निगाहों की 

महसूस करता हूँ तुम्हारी साँसों को मैं 
शब्दों में बयां ना कर पाऊँ तुम्हारे लिये अपनी मोहब्बत को 

कभी तो आ के बैठो मेरे पास तुम
 तुम्हें बतायें कैसे गुजरी हैं
 ये रातें तुम्हारे ख़्यालों में तुम बिन ।।
              विष्णु
         Shayaripub.com 

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