दिसंबर की सर्द हवाएं मेरा क्या बिगाड़ लेंगी
गर्म चाय पीते हैं तेरी यादो की शॉल लपेट कर।।
तुम नही हो पास मेरे....फिर भी तुम ही तुम नजर आते हो...
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आवाज देना चाहूँ भी तो कैसे....पल प्रति पल तुम मुझ में ही समाते हो....
मन ही मन में ना जाने कितना कुछ कह कर तुमसे...मुस्कुरा देती हूँ मैं...
ख्यालो मे तुम्हारे....पीड़ा के आँसू तक बहा लेती हूँ मैं.....
कभी कभी सोचती हूँ...क्या मेरे जीवन में कोई ऐसी जगह शेष हैं...जहाँ नही हो तुम....
मेरी हँसी में.....बेबसी में....आँखों में... आँसुओं में....मेरी हर खुशी में हो तुम....
मेरे ख्यालों में....सवालों में.....मेरे ख्वाबों में हो तुम.....
तुम्हारा जिक्र है मेरे हर लफ्ज़ में....मेरी प्रतीक्षा में...इन पंक्तियों में छुपी हर आरज़ू में हो तुम....
विरह में तड़पती रूह और इस मन की जुस्तजू में सिर्फ हो तुम....
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