उसकी आँखे बयां करती होंगी मेरी बेपन्हा मोहब्बत….
शायद …..
इसीलिए …
नजर झुक जाती है उसकी मेरी गली से गुज़रते हुए
उसकी आँखे बयां करती होंगी मेरी बेपन्हा मोहब्बत….
शायद …..
इसीलिए …
नजर झुक जाती है उसकी मेरी गली से गुज़रते हुए
आओ इक मयकदा बनाए हम:
शेख वाइज़ को भी पिलाएं हम।
ज़िन्दगी खुद में इक इबादत है;
राज़ की बात ये बताएं हम।
घर के बाहर बहुत अंधेरा है;
आओं भीतर शमा जलाएं हम।
आशिकी बेखुदी नहीं यारो;
प्यार को बन्दगी बनाएं हम।
इश्क में रोने का है क्या मतलब?
आओ हंसकर पिएं - पिलाएं हम।
मेरे मुर्शिद ने इल्म ऐसा दिया
आदमी से खुदा हो जाएं हम।।
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