*आसान नहीं विभीषण हो जाना ।*
*महलों में योगी वह रहता
सुख-दुख सब सम भाव से सहता*
*हरिदर्शन करते-करते स्वयं एक दर्शन हो जाना ।।*
*हरिदर्शन करते-करते स्वयं एक दर्शन हो जाना ।।*
*सत्य पक्ष में ध्वजा धारी है
बड़े भाई का आज्ञाकारी है
कर्म धर्म से नीच भाई के आगे सदा नतमस्तक रहना ।।
कर्म धर्म से नीच भाई के आगे सदा नतमस्तक रहना ।।
पुलस्त्य कुल वंशी ज्ञान रूप सब ।
बने निशाचर अधम कुरूप अब
अतिदुश्कर है सबका .....पुनः सुमार्ग पर आना
अतिदुश्कर है सबका .....पुनः सुमार्ग पर आना
रावण जब सीता हर लाया
अग्रज को बहुत समझाया
कौन बचाए युद्ध से उसको जिसने निज विनाश हो ठाना
कौन बचाए युद्ध से उसको जिसने निज विनाश हो ठाना
हनुमानको वैदेही का पता बता।
घर का भेदी होने का कलंक उठाया
परमार्थ कारण ध्वल चरित्र कलंकित कर लेना
परमार्थ कारण ध्वल चरित्र कलंकित कर लेना
वीर पुरुष ने महिपति को पंथ दिखाया
नीति विरुद्ध ना मारें दूत यह मंत्र समझाया
क्रोधी, मोही, दंभी सभा में बिना डरे, अपना मत देना
सन्मार्ग पर लाने का प्रयत्न किया था
युद्ध रोकने का हर संभव यत्न किया था
छोटे प्रयास का बड़े आरोप में दफन हो जाना
क्रोधी, मोही, दंभी सभा में बिना डरे, अपना मत देना
सन्मार्ग पर लाने का प्रयत्न किया था
युद्ध रोकने का हर संभव यत्न किया था
छोटे प्रयास का बड़े आरोप में दफन हो जाना
स्वाभिमान को तोड़ दिया अपने अपनों ने
ऐसा दुर्व्यवहार न सोचा था सपनों में
जगत से ठोकर खाकर प्रभु शरण में जाना
ऐसा दुर्व्यवहार न सोचा था सपनों में
जगत से ठोकर खाकर प्रभु शरण में जाना
अगर ना होता विभीषण तो क्या लंका होती
पराधीन हो सारी जनता हर पल रोती
शत्रु के हाथों अपना राजतिलक करवाना
अश्रु धार से राम की मानस पूजा करते
अपने आपको हरि चरणों में अर्पित करके
श्रुति निंदा से मुक्त हो राम राम गुण गाना
पराधीन हो सारी जनता हर पल रोती
शत्रु के हाथों अपना राजतिलक करवाना
अश्रु धार से राम की मानस पूजा करते
अपने आपको हरि चरणों में अर्पित करके
श्रुति निंदा से मुक्त हो राम राम गुण गाना
असत्य हारा जब रावण हारा लंका ना हारी
पा हरिभक्त नरेश सभी हर्षे नर नारी
पुरवासियों को राम नाम का मरम सिखाना
अचला शर्मा गुलेरिया
Shayaripub.com
पा हरिभक्त नरेश सभी हर्षे नर नारी
पुरवासियों को राम नाम का मरम सिखाना
अचला शर्मा गुलेरिया
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